आज...
मैं बहुत खुश हूँ...
पूरी दुनिया 'कल' थी...
पर 'मैं' आज हूँ..
क्योंकि आ ज मिला है मुझे...
एक नया खिलौना...
जिसे सब कह रहे थे 'तिरंगा'...
कल था ये सबके हाथों में...
चाहता था मैं भी...
इसे छूना...
लहराना...
फेहराना...
पर किसी ने ना दिया इसे हाथ लगाना...
जैसे ना हो 'हक' मुझे इन सबका...
कल था तरसता सिर्फ 'एक' को...
आज पाया है पड़ा 'अनेक' को...
कल जिन धूल भरे हाथों से ये गंदे होते थे...
आज उन्ही हाथों से साफ़ किया है...
इन पर लगी धूल को...
नहीं जानता क्या कीमत है इनकी...
पर है अनमोल बहुत मेरे लिए...
क्योंकि इन्हें देख ही मेरे रूठे दोस्त...
फिर बोलेंगे मुझसे...
फिर खिलाएंगे साथ वो खेल नये...
फिर लौटेगी सबके चेहरों की खोई हँसी...
और तब बोलूँगा...
सबके संग...
जो सबने कल बोल रहे थे...
शायद... "जय ~ हिंद"...!!
मैं बहुत खुश हूँ...
पूरी दुनिया 'कल' थी...
पर 'मैं' आज हूँ..
क्योंकि आ ज मिला है मुझे...
एक नया खिलौना...
जिसे सब कह रहे थे 'तिरंगा'...
कल था ये सबके हाथों में...
चाहता था मैं भी...
इसे छूना...
लहराना...
फेहराना...
पर किसी ने ना दिया इसे हाथ लगाना...
जैसे ना हो 'हक' मुझे इन सबका...
कल था तरसता सिर्फ 'एक' को...
आज पाया है पड़ा 'अनेक' को...
कल जिन धूल भरे हाथों से ये गंदे होते थे...
आज उन्ही हाथों से साफ़ किया है...
इन पर लगी धूल को...
नहीं जानता क्या कीमत है इनकी...
पर है अनमोल बहुत मेरे लिए...
क्योंकि इन्हें देख ही मेरे रूठे दोस्त...
फिर बोलेंगे मुझसे...
फिर खिलाएंगे साथ वो खेल नये...
फिर लौटेगी सबके चेहरों की खोई हँसी...
और तब बोलूँगा...
सबके संग...
जो सबने कल बोल रहे थे...
शायद... "जय ~ हिंद"...!!
::::::::जूली मुलानी::::::::
::::::::Julie Mulani::::::::
बहुत खूब जूलिया जी बहुत बेहतरीन कविता है,,, मगर एक मै आप को राय दूंगा की आप अपने ब्लॉग को किसी ब्लॉग एग्रीकेटर में एड कर ले जिससे जायद से जायद लोग आप के ब्लॉग को पढ़ सकेगे
ReplyDeleteसादर
प्रवीण पथिक
9971969084