अपनों के बीच अपना 'अस्तित्व' तलाशती... दुनिया की भीड़ में अपना 'वजूद' कायम करने की कोशिश में... आँखों में भरे सपनों और ज़िन्दगी से गायब कुछ रंगों को... कोरे पन्नों पर... शब्दों से उकेरती... एक 'आम'... मगर... 'ख़ास लड़की' के... कुछ 'पन्नें' "ज़िन्दगी" के... ... ...!!
Thursday, October 21, 2010
"तमन्नायें..."
ज़िन्दगी... ... ...
देती रही तमन्नायें...
उन्हें सहेजती रही मैं...
खुद में... ... ...
इस उम्मीद से...
कि कभी... किसी रोज़...
कहीं ना कहीं...
इन्हें भी दूँगी पूर्णता...
और करूँगी...
खुद को भी पूर्ण...
जिऊँगी तृप्त हो...
इस दुनिया से...
बेखबर... ... ...
पर... ... ...
नहीं जानती थी मैं...
कि तमन्नायें होतीं हैं...
सिर्फ सहेजने के लिये...
इन समंदर का...
नहीं कोई साहिल...
इस कश्ती का...
नहीं कोई माझी...
ये तो डोलती रहतीं हैं...
अकेली... ... ...
बीच मझधार...
और खो जाती है...
इक दिन किसी...
भंवर में... ... ...
हमेशा के लिये... ... ...!!
::::::::जूली मुलानी::::::::
::::::::Julie Mulani::::::::
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment