माँ... ... ...
आज खुश हूँ बहुत...
शायद इसलिए... कुछ सूझ नहीं रहा...
लिखनें को... सिर्फ इस शब्द 'माँ' के आगे...
शायद समझ आया कि क्यों तुम निहारती थी...
एकटक, कभी... जब मैं पुकारती थी... 'माँ'.. कह के तुझे...
आज समझ आई... दादी का हर पल मेरी जगह...
अपना पोता देखनें की चाहत की वजह...
आज समझ आया क्यों रोती थी तुम...
मेरे ब्याह का सोच के... ... ...
शायद सोचती होगी... अपनी अकेली ज़िन्दगी...
जो शायद बेटे के होने पर ना होती...
पर, माँ... ... ... मुझे क्यों नहीं एहसास होता...
मुझे क्यों नहीं चाह होती... बेटे की... ... ...???
आज... प्रकृति ने नवाजा है मुझे भी...
अपनें अनोखे चमत्कार से...
फूटा है एक अंकुर... मुझमें भी...
अब बनेगा एक पेड़... जिसे सीचूंगी मैं भी...
फिर उसके फल का इंतज़ार...
तेरी तरह... मैं भी सुनती हूँ...
अपनीं सासू माँ को... पोते की छह में मजबूर...
पर, तय किया है... मैंने भी...
पर, तय किया है... मैंने भी...
जन्मूंगी एक बीज... जो किसी के आँगन का वृक्ष बनें...
ना जन्मूंगी कोई फल... जो एक वक़्त के बाद सड़ जाये...
महकाएं हैं 'दो अंगान' मैंने...
और महकाएगी...
मेरी "बेटी" भी... ... ...!!
::::::::जूली मुलानी::::::::
::::::::Julie Mulani::::::::
हर वन में चंदन नही होता हे,
ReplyDeleteहर घर में बेटिया नही होती हे ,
भाग्यशाली हे वो जिनके बेटियाँ हे
जो आज माँ हे वो कल बेटी थी,
जो आज बेटी हे वो कल माँ हे
julie ji aapne hame delete kar diya kyu kya jaan sakte hain
sundar abhivakti.badhai...
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