Saturday, January 22, 2011

"माँ'"...






((ये कुछ lines (जिसे कविता नहीं कह सकती) हमनें अपनी 'माँ' के लिए तब (in 2006) लिखी थी जब कुछ दिन उनके बिना रहना पड़ा था और उनका एक छोटा-सा operation था...!!))

जिसकी बाहों नें मुझको सहारा दिया...
तब, जब मेरे क़दम भी ज़मीन पर नहीं पड़े थे...
दुनिया नें चाहे मेरे आंसू कभी ना देखे हों...
पर, उसके सामनें मैं...
ना जानें कितनी बार बेझिझक रोई...!!

मेरी कोहनी पर लगी छोटी-सी खरोंच से लेकर...
दिल पर लगी हर चोट को...
मुझसे ज्यादा... उसने सहा...!!

इम्तिहान तो मेरे होते थे...
पर असली परीक्षा उसनें दी...
मेरी कोई गलती भले ही उससे ना छुपी हो...
पर मेरी हर गलती को...
उसनें हर-एक से छुपाया...!!

मेरी हर कमजोरी को...
उसनें अपनी ममता का मरहम लगाकर...
मुझे हर तरह से... मजबूत बनाया...!!

जो मेरी "हर" कामयाबी को देखकर...
'मुस्कुरानें' में ही... "खुश" है...
उस "माँ" को आज यूँ 'बेसुध' देख...
आँखें... बस... ... ...

'छलक' पड़ीं... ... ...!!

::::::::जूली मुलानी::::::::

::::::::Julie Mulani::::::::

8 comments:

  1. mind blowng julie......?tbhi maa ko bhagwan maana jaata he.........?maa ke charno me swarg he....?

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  2. aapkaaa maa ke liye pyar ko salam!! achchha laga...kabhi hamare blog pe aayen..!

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  3. माँ तो बस माँ ही है, जिस का कर्जा इंशान उतार ही नहीं सकता|

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  4. @Cany... Sahi kaha aapnei'n ke "MAA ke charno'n mein SWARG basta hai"... Thanks aapko pasand aaya... :-)

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  5. @Mukesh jee: Bahut Bahut AABHAAR Aapka pasand karne ke liye... Jarur aaungi BLOG pe... :-)

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  6. @Patali jee: आपसे पूरी तरह से सहमत हूँ 'पाताली जी'... इस क़र्ज़ से तो मुक्ति का प्रयास भी नहीं करना चाहिए... शुक्रिया आपकी टिप्पड़ी का...!! :-)

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  7. @Vindhyasini jee: Bahut Bahut Aabhaar... :-)

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