(("महिला-दिवस" पर महिलाओं को 'समर्पित'...))
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गूंजती 'किलकारियां'... हंसती 'आँखें'...
नन्हें-नन्हें 'क़दम'... मुट्ठियों में भींचा "बचपन"...
छनकती 'आवाज़'... मासूम 'धड़कन'...
भोली 'मुस्कान', समेटे... हुआ औरत का 'जन्म' "आज"...!!
थामी 'कलम'... आँखों में 'सपनें'...
मुस्कान 'जोशीली'... क़दमों में "तेज़ी"...
इरादे 'मज़बूत'... हौसलों में 'उड़ान'...
नापनें ऊंचा 'आसमान'... निकली 'घर' से औरत "आज"...!!
ठिठके 'क़दम'... रोकते 'फ़र्ज़'...
ज़िम्मेदार 'कंधे'... माँ-बाप का "क़र्ज़"...
उदास 'मुस्कराहट'... बंद आँखों से झांकते 'सपनें'...
फिर भींची 'मुट्ठियाँ'... देती 'हिम्मत' औरत को "आज"...!!
महकती 'मेहंदी'... संवारती 'हल्दी'...
गहरी 'मुस्कान'... जुडती नयी "पहचान"...
छूटते 'सपनें'... अपनाते 'अपनें'...
सात जन्मों के 'क़दम'... थाम हाथ 'चली' औरत "आज"...!!
पौधे-सा बढ़ता 'जीवन'... बनता वृक्ष लगते 'फल'...
सौम्य'मुस्कान'... मुट्ठियों में "जिम्मेदारियां"...
सधे 'क़दम'... सजाती आँखें अंश के 'स्वप्न'...
फूटता अंकुर 'वृक्ष' में फिर... जन्मी 'माँ' औरत में "आज"...!!
सरल-सहज 'मुस्कान'... खुली मुट्ठियाँ देती 'साहस'...
सजाती 'सपना' फिर... अंश के उज्जवल "भविष्य" का...
ठहरते क़दम, 'देखते'... बढ़ते क़दमों का 'विकास'...
छूटते रिश्ते, छूटता 'अंश'... माँ में तलाशती 'खुद' को औरत "आज"...!!
भावहीन 'मुस्कान'... मुट्ठियाँ ना 'बंधती', कांपते 'हाथ'...
जिम्मेदारियां झुके कन्धों से 'फ़िसल' जाती... आँखें करती कुछ "तलाश"...
कांपती, ठिठकती, सोचती 'आवाज़'... छूटे रिश्ते ढूंढें 'आस-पास'...
प्रारंभ से अंत सपनों का 'हास'... चली 'सात-चक्र' पूरे कर फिर औरत "आज"...!!
:::::::: जूली मुलानी ::::::::
:::::::: Julie Mulani :::::::: ----
गूंजती 'किलकारियां'... हंसती 'आँखें'...
नन्हें-नन्हें 'क़दम'... मुट्ठियों में भींचा "बचपन"...
छनकती 'आवाज़'... मासूम 'धड़कन'...
भोली 'मुस्कान', समेटे... हुआ औरत का 'जन्म' "आज"...!!
थामी 'कलम'... आँखों में 'सपनें'...
मुस्कान 'जोशीली'... क़दमों में "तेज़ी"...
इरादे 'मज़बूत'... हौसलों में 'उड़ान'...
नापनें ऊंचा 'आसमान'... निकली 'घर' से औरत "आज"...!!
ठिठके 'क़दम'... रोकते 'फ़र्ज़'...
ज़िम्मेदार 'कंधे'... माँ-बाप का "क़र्ज़"...
उदास 'मुस्कराहट'... बंद आँखों से झांकते 'सपनें'...
फिर भींची 'मुट्ठियाँ'... देती 'हिम्मत' औरत को "आज"...!!
महकती 'मेहंदी'... संवारती 'हल्दी'...
गहरी 'मुस्कान'... जुडती नयी "पहचान"...
छूटते 'सपनें'... अपनाते 'अपनें'...
सात जन्मों के 'क़दम'... थाम हाथ 'चली' औरत "आज"...!!
पौधे-सा बढ़ता 'जीवन'... बनता वृक्ष लगते 'फल'...
सौम्य'मुस्कान'... मुट्ठियों में "जिम्मेदारियां"...
सधे 'क़दम'... सजाती आँखें अंश के 'स्वप्न'...
फूटता अंकुर 'वृक्ष' में फिर... जन्मी 'माँ' औरत में "आज"...!!
सरल-सहज 'मुस्कान'... खुली मुट्ठियाँ देती 'साहस'...
सजाती 'सपना' फिर... अंश के उज्जवल "भविष्य" का...
ठहरते क़दम, 'देखते'... बढ़ते क़दमों का 'विकास'...
छूटते रिश्ते, छूटता 'अंश'... माँ में तलाशती 'खुद' को औरत "आज"...!!
भावहीन 'मुस्कान'... मुट्ठियाँ ना 'बंधती', कांपते 'हाथ'...
जिम्मेदारियां झुके कन्धों से 'फ़िसल' जाती... आँखें करती कुछ "तलाश"...
कांपती, ठिठकती, सोचती 'आवाज़'... छूटे रिश्ते ढूंढें 'आस-पास'...
प्रारंभ से अंत सपनों का 'हास'... चली 'सात-चक्र' पूरे कर फिर औरत "आज"...!!
:::::::: जूली मुलानी ::::::::
बढ़िया रचना ,
ReplyDeleteआपका साझा ब्लॉग ' एक प्रयास "बेटियां बचाने का "में एक रचनाकार के रूप में भी स्वागत है जिसका आमंत्रण आपके इ मेल पे भेजा जा रहा है http://ekprayasbetiyanbachaneka.blogspot.com/