ज़िन्दगी की दौड़ से जब थक-हार के बैठ जाती हूँ...
तेरा पीछे से आ, नन्ही हथेलियों से आँखें बंद कर पूछना...
बोलो कौन है...???
जैसे एक नयी ऊर्जा सी भर देती हो मुझमें...
फिर अपनी हथेलियों से दूर कर, चंचल मुस्कान से कर देती हो सराबोर मुझे...
भूल जाती हूँ सारे ग़म फिर...
जब तुम मेरी गोद में सर रख सुनती हो कहानी...
और सुनते सुनते आँखें मूंद खो जाती हो सपनों में...
तेरे देखे उन मीठे ख़्वाबों को देख सकती हूँ...
तेरे होठों पर फैली मुस्कान के ज़रिये...
और फिर खुद खो जाती हूँ, ख़्वाबों में, जहाँ देखती हूँ तुझे...
दुनिया की हर उस ख़ुशी के साथ...
जिसे मैं ना पा सकी...
देखती हूँ फिर एक सफ़ेद घोड़े पे तुझे ले जाने आये...
एक राजकुमार को...
और ना चाहते हुए भी छोड़ देती हूँ तेरा हाथ...
डरते-डरते...
देखती हूँ उसे, तुझे... मुझसे दूर ले जाते हुए...
पर अब भी दिखती है, तेरे होठों की वही मुस्कान...
तुझे छोड़ने गयी नज़रें...
धीरे-धीरे साथ छोड़ देती हैं मेरा,
तब... जब आँखों में समंदर बह उठता है...
और बैठ जाती हूँ फिर से...
थक-हार कर... ’अकेली’...
ये सोच...
अब तो ना आयेगी तेरी नन्ही हथेली...
मूंदने मेरी आँखें...
और पड़ जाती हूँ सोच में...
क्यों छोड़ जाती हैं बेटियाँ...
क्यों हो जाती हैं वो...
एक दिन...
अपने 'अँश' से भी पराई...???
::::::::जूली मुलानी::::::::
::::::::Julie Mulani::::::::
तेरा पीछे से आ, नन्ही हथेलियों से आँखें बंद कर पूछना...
बोलो कौन है...???
जैसे एक नयी ऊर्जा सी भर देती हो मुझमें...
फिर अपनी हथेलियों से दूर कर, चंचल मुस्कान से कर देती हो सराबोर मुझे...
भूल जाती हूँ सारे ग़म फिर...
जब तुम मेरी गोद में सर रख सुनती हो कहानी...
और सुनते सुनते आँखें मूंद खो जाती हो सपनों में...
तेरे देखे उन मीठे ख़्वाबों को देख सकती हूँ...
तेरे होठों पर फैली मुस्कान के ज़रिये...
और फिर खुद खो जाती हूँ, ख़्वाबों में, जहाँ देखती हूँ तुझे...
दुनिया की हर उस ख़ुशी के साथ...
जिसे मैं ना पा सकी...
देखती हूँ फिर एक सफ़ेद घोड़े पे तुझे ले जाने आये...
एक राजकुमार को...
और ना चाहते हुए भी छोड़ देती हूँ तेरा हाथ...
डरते-डरते...
देखती हूँ उसे, तुझे... मुझसे दूर ले जाते हुए...
पर अब भी दिखती है, तेरे होठों की वही मुस्कान...
तुझे छोड़ने गयी नज़रें...
धीरे-धीरे साथ छोड़ देती हैं मेरा,
तब... जब आँखों में समंदर बह उठता है...
और बैठ जाती हूँ फिर से...
थक-हार कर... ’अकेली’...
ये सोच...
अब तो ना आयेगी तेरी नन्ही हथेली...
मूंदने मेरी आँखें...
और पड़ जाती हूँ सोच में...
क्यों छोड़ जाती हैं बेटियाँ...
क्यों हो जाती हैं वो...
एक दिन...
अपने 'अँश' से भी पराई...???
::::::::जूली मुलानी::::::::
I appreciate your thoughts and wisdom.Your Poems are worth reading times and again.I wish you all success in your very long & happy life.
ReplyDeleteThank-U SO Much Bishwanath jee...!!
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